फिर से जाना होगा घर
इसी बात से लगता डर
किसी और ने चाल चली
हमें बता दिया 'मुख़बर'
खूब पता है इश्क नहीं
फिर भी करते आडंबर
कैसे कर लेते हो सब ?
100 में पूरे 100 नंबर
हर लम्हे में दिल मारा
कब थे हम इतने बर्बर ?
सौ शैतानों में 'इब्लीस'
बता रहे हैं 'पैगंबर'
अपना मन ही काला होगा
बाकी सब हैं 'श्वेतांबर'
ख़बरी बड़ा अकेला है
लेते रहना खोज ख़बर !
- देवेश वशिष्ठ 'खबरी'