रमता जोगी, बहता पानी... तेरी राम कहानी क्या ?

रमता जोगी, बहता पानी
तेरी राम कहानी क्या ?
आहट-आहट, चौखट-चौखट
बैरन नई पुरानी क्या...?
उन बातों की बातें मुझको
बिल्कुल वैसे ताजी हैं
जैसे साखी, सबद, सवैये
कोई प्रेम कहानी क्या !
बारिश, जंगल, हवा, पहाड़ी
नदियां अभी रवानी हैं !
लेकिन सारी बातों मुझको
तुझको सुनी सुनानी क्या ?
आते-जाते, रुकते-चलते,
कुछ तो दिल में चुभता है,
जब जब कह देता है कोई
गा दूं तुझको हानी क्या ?
पागल, पागल होकर देखा
तेरे एक बहाने से
और तभी से दुनिया भर की
मुश्किल मुझको मानी क्या...?
- देवेश वशिष्ठ 'खबरी'
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