एक हिन्दू ने
एक आदमी मार दिया...,
एक मुसलमान ने
उसकी बीबी की इज्जत लूटी...,
... मजे से,
किसी ने नहीं रोका।
फिर दोंनों ने मिलकर
उसका घर जला दिया...।
कुछ और आदमी थे उस मोहल्ले मैं,
मार दिये गये...
अब वहाँ बस,
हिन्दू मुसलमान रहते हैं...
...आबाद!!
देवेश वशिष्ठ 'खबरी'
9410361798
सच है, एसी आबादी ही बढती जा रही है, मानवता को जगह कहाँ बची है?
जवाब देंहटाएं*** राजीव रंजन प्रसाद
सही लिखा देवेशजी आपने
जवाब देंहटाएंइंसान भी आजकल ढूंढने पड़ते हैं हिंदू मुसलमान हर जगह मिल जाते हैं
गहरा है इसे समझना कई मायनों में कई कविताओं से अलग है…इंसानी जज्वातों को इतने आसान शब्दों में व्यक किया कबिल-ए-तारीफ है…।धन्यवाद!!!
जवाब देंहटाएंकिसी चीज की कमी नही है इस दुनिया में न इन्सानियत की न ही हैवानियत की... बस किस के हिस्से में क्या आता है.....यह मुक्कदर की बात है...
जवाब देंहटाएंकिसी चीज की कमी नही है इस दुनिया में न इन्सानियत की न ही हैवानियत की... बस किस के हिस्से में क्या आता है.....यह मुक्कदर की बात है...
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