इतना बदल लिया है
खुद को ऐ जिन्दगी,
अब तो अकेलेपन में
मजा आने लगा है।
आँसू दफन के दिल में
इतना घुटा हूँ मैं,
अब दर्द की शिकन में
मजा आने लगा है।
वो सब रहैं सलामत,
जो थे कभी करीबी,
अब उनसे दूरियों में
मजा आने लगा है।
जानता हूँ मंजिल
मेरे लिये रुकी है,
रुखों की बेरुखी में,
मजा आने लगा है।
देवेश वशिष्ठ ' खबरी '
9410361798
मुझे भी पढने में मज़ा आने लगा है.. हर कविता सहज और सुंदर..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंसुनीता(शानू)