
दीवार पर गढ़ी कील,
दिल-दीवार,
बाकी तुम..!
बांस सा ज्वार,
फनकार,
बंसी की धुन!
-----
चुक गए सवाल,
सांस,
मोक्ष-
रंगीन पानी...
तेरा अक्स...
होश!
-----
आहट,
अकेलापन,
डर-
न तू,
न मां,
न घर!
-----
खारा सागर,
टूटी बोतल,
जिन्न-
कारे आखर,
कोरे कागज,
तेरे बिन!
-----
तड़पती भूख,
रेगिस्तान,
प्यास!
वादियां... झरना...
तू...
काश!
---------------
देवेश वशिष्ठ खबरी
9953717705