
बिट्टू यानि इंदू... अपने आप में एक कम्पलीट कहानी... इंदू ने अपने पिता को जिंदगी में बस एक बार देखा... जिंदा नहीं... कफन में लिपटा हुआ... उसका अधिकार अपने पिता पर बस इतना ही हो पाया कि उसके आने तक उनकी अर्थी रोक ली गई थी... इंदू को बचपन में ही बोर्डिंग भेज दिया गया था... इंदू की मां को वो पसंद नहीं थी... क्यों... इसका जबाब भी उसे पिता की मौत के बाद ही मिल सका... बचपन से आसाम में रही... बोर्डिंग स्कूल में... नर्सरी से लेकर बारहवीं तक... रिश्ते अहमियत रखते हैं ये उसे तब पता चलता जब होस्टल की फीस औऱ जेबखर्च उसके स्कूल एकाउंट में क्रेडिट कर दिये जाते थे... कभी कभी भाई मिलने आ जाता था तो पता चलता था कि लड़कों से कुछ औऱ भी रिश्ते बनाये जा सकते हैं... हर साल उसकी दुनिया बदल जाती थी... बोर्डिंग में खूब रैगिंग...ली भी औऱ दी भी...उत्तर औऱ पूरब में कुछ परेशानी है... ये उसे वहीं समझ में आया... नये एडमीशन हुए तो सब खुश हो जाते थे... पर पहली बार जब असम के उस स्कूल में गोलियां चली तो जिंदगी भी समझ में आ गई... बिट्टू तब तक बिट्टू नहीं थी... वो इंदू थी... छ: साल की इंदू... घर से दूर गई तो रोई थी या नहीं उसे याद नहीं... पर उसने कभी घर को याद भी नहीं किया... असम में इंदू ने दुनियादारी की पूरी तालीम पाई... जब देह भरने लगी तो पूरब की चपटी नाक वाली लड़कियों के बीच इंदू ही सबसे खूबसूरत लगती थी... लड़के आगा पीछा करने लगते औऱ वो किसी को घास नहीं डालती थी... या यूं भी कह सकते हैं कि उसे गुरूर था अपने चेहरे-मोहरे पर... घर का प्यार मिला नहीं तो जहां से भी मिला... बटोरती चली गई... लेकिन दो दिन औऱ तीन रातों की दोस्तियों से जब नकाब हटता तो इंदू का बड़ा बुरा लगता... हालांकि इंदू से कोई ज़ोर जबर्दस्ती की गुस्ताखी नहीं कर सकता था... लेकिन उम्र है... अगर कोई रोक-टोक न हो तो उड़ने की चाहत किसकी नहीं होती... कभी- कभी उसे अपनी ही इस आजादी से घुटन होने लगती... पर माहौल मिले तो कौन कम्बख्त घुटने बैठेगा... बोर्डिंग के लड़के बड़े घरों के बिगड़े शहज़ादे थे... अफम... चरस...दारू औऱ मारपीट... इसी दुनिया में मस्त औऱ व्यस्त रहते थे... अब सोहबत से कब तक कोई खुद को दूर रख सकता है... कुल मिलाकर हुआ ये कि रोज लड़कों को चरस पीते देख एक दिन उसका भी मन कर आया... लड़कों ने बहका दिया औऱ इंदू लगा बैठी ड्रग का इंजेक्शन... बहक तो गई पर संभाल नहीं पाई... इंदू के मुंह से झाग आने लगे तो उसके साथी घबरा गये... हास्पीटल में भर्ती कराया तो बात खुल गई... इंदू के घर वालों को बुलाया पर कोई नहीं आया... इंदू को इन्जेक्शन का ज़हर रिएक्शन कर गया औऱ पूरे चेहरे पर दाने निकल आये... इंदू ठीक तो हो गई तो उसे लगा कि सब उससे कटने लगे हैं... जो कल तक आगा पीछा करते थे, अब हाय हलो भी नहीं करते... कभी कभी कुछ झटके इंसान को बिल्कुल बदल देते हैं... इंदू भी बदल गई थी...
जारी है...
देवेश वशिष्ठ 'खबरी'
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