24/1/22

होठों के प्रेम-प्रपंचों से


होठों के प्रेम-प्रपंचों पर
कितने कागज़ बर्बाद किए 
कितनी रातें नीदें जागीं
कितने आंसू आबाद किए ?

तब काश कलम को कह देता
बस आंसू लिखना अच्छा है
बाकी दुनिया में झूठ भरा
आंख का पानी सच्चा है

-देवेश वशिष्ठ 'ख़बरी'

#ख़बरी #नई_वाली_हिंदी

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