और तेरे कितने गीत गाए
अब क्या मर जाएं ?
बच्चों को भूख भी लगती है
ये जाकर किसे बताएं ?
तेरी सलामी में दोहरे हो तो गए
तेरे खेल के मोहरे हो तो गए
तुम्हारी सब कैंची हमीं पर चलीं हैं
और हमीं जयकार लगाएं
और तेरे कितने गीत गाए
अब क्या मर जाएं ?
- देवेश वशिष्ठ 'ख़बरी'
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