25/1/22

ख़ून

चल तूने ये सुकून दे दिया 
मुझे भी जंगी जुनून दे दिया

जो नासूर बन गए कुरेदकर
सहलाने को नाखून दे दिया

मैं कभी थाने तक गया नहीं
तूने मेरे हाथ कानून दे दिया

तूने तो आज़ादी भी नहीं दी
और मैंने अपना खून दे दिया

- देवेश वशिष्ठ 'ख़बरी'

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