यादें पवित्र होती हैं इसलिये बची रहती हैं...
इन्हीं बेहद निजी यादों को संजो रहा हूं, नाज़ुक हैं... सहेज लीजियेगा
8/9/12
प्यार का पेड़
हमने पेड़ लगाना सीखा
पंखुड़ियां सहलाना सीखा
सुबह-शाम फिर टुकुर-टुकुर
उसकी बात बताना सीखा
यूं ही बातें कहते लिखते
आज यहां तक आया हूं
राज की बात बताऊं , मैं अब...
उसी पेड़ की छाया हूं...
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