27/6/08
राधा कैसे न जले- 7
वािदयां- मेरी आवारगी का कहानी की पिछली कड़ियां पढ़ने के लिए यहां क््लिक करें-
आगे-
वक्त गुज़रा और इंदू शहर के रंग में रच बस गई... घर में मोहब्बत मिले न मिले, उस पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता था... लेकिन घर के सवाल परेशान करते तो नौकरी की जुगाड़ में देहरादून आ गई... मैं कहानी को बिना ज्यादा घुमाए फिराए आपको ये बता दूं कि आगे इंदू उसी स्कूल में फ्रंट ऑफिस पर जॉब करने लगी जहां देव पढ़ाता था... मैं कहानी को यहां भी ज्यादा नहीं मोड़ूंगा कि उस दिन क्या हुआ होगा जब देव ने उसी लड़की को दोबारा देखा जिसे उसने आपा खोकर थप्पड़ मार दिया था... यहां आप जो भी कहानी गड़ लें आपकी मर्जी... लेकिन उस दिन एक बात ज़रूर हो गई... पहली बार गुरूर छोड़कर देव को लगा कि माफी मांगने से भी सुकून मिलता है... लंच के वक्त इंदू कैंटीन में गई... देव के साथ बैठी और बिना कुछ कहें चुपचाप खाना खाया... इस पूरे दौरान न तो देव की हिम्मत कुछ बोलने की हुई और न ही इंदू ने कुछ कहा... शाम हुई तो इंदू ने देव से पूछ लिया---- तो क्या क्या देखा आपने देहरादून में...
कुछ खास नहीं... सच कहूं तो कुछ नहीं...
देव के दिमाग में अब तक वो चीतल वाली बात ही चल रही थी...
क्या... हाऊ बोरिंग आर यू... इतनी सुंदर जगह और कुछ नहीं देखा...
इंदू ने बड़े अचरज से कहा
दरअसल वक्त ही नहीं मिला... हां कभी कभी शाम को टहलने गांधी पार्क चला जाता हूं... पास में ही है... आप यहीं रहती हैं क्या... देव ने पूछ लिया...
नहीं यहां तो मैं बस टाइमपास करने आई हूं... मेरी मम्मी मसूरी में रहती हैं... तो उस दिन तुम यहां जॉइन करने आ रहे थे...
हां... उस रात का मलाल मुझे आज तक है...
कोई बात नहीं... अगर वो तुम वो थप्पड़ नहीं मारते तो शायद आज हम दोस्त नहीं बन पाते... चलो मैं तुम्हें देहरादून घुमाती हूं...
बस यही से एक सीधी सच्ची सी लव स्टोरी शुरू होती है... लेकिन ये कहानी आगे जाकर बड़े गुल खिलाने वाली है... कहानी तो चलती रहेगी... इंदू के बहाने चलो तुम्हें देहरादून भी घुमा दूं... हालांकि अभी देव के रेस्ट हाउस पर इंदू का आना जाना शुरू नहीं हुआ है पर मैं बता दूं कि कॉलेज के पास ही करनपुर में देव कॉलेज के रेस्ट हाउस में रहता है... एकदम अकेला... करनपुर के पास ही है सर्वे चौक... और सर्वे चौक के आगे गांधी मैदान और उसके बाद घंटाघर... अरे इस बीच एक और जगह है... परेड ग्राउण्ड... याद रखना ये सारी जगह पूरी कहानी में बार बार आएंगी... घंटाघर से देहरादून में हर जगह जाने के लिए विक्रम टेम्पो मिलते हैं... और देर तक देहरादून में देव के साथ घूमने के बाद यहीं से ५ नं. के ऑटो में बैठकर इंदू अपनी मामी के घर चली गई... ज़ाहिर सी बात है कि इंदू देहरादून में जॉब कर रही है तो मसूरी से रोज़ ३५ किलोमीटर का सफर करके तो आएगी नहीं... उस दिन से जो सिलसिला शुरू हुआ कि हर दिन.... कॉलेज के बाद रोज शाम एक घंटा इंदू और देव गांधी पार्क में जाने क्या क्या बतियाते रहते... न वहां देव का कोई और था और न कोई इंदू को मिल सका था... थीं पर इंदू को फुआरे के किनारे वाली लोहे की बेंच ही पसंद थी... देव कम बोलता था... इंदू सब कुछ बताती... अपने बारे में, अपने दोस्तों के बारे में... चंद्रमा से अपने रिश्ते के बारे में... इंदू चांद की ओर इशारा करके बोलती... पता है ये मेरा सबसे अच्छा दोस्त है... मैं इंदू और ये चांद... बिल्कुल एक से... पता है मैं जब भी परेशान होती हूं या किसी से दिल की बातें करने का मन करता है तो इसी को सब बता देती हूं... ये कभी नहीं कहता कि कितना बोलती हो... मैंने इससे कभी कुछ नहीं छिपाया... इसे सब पता है... सब कुछ... ये भी कि आसाम में उस लड़के ने जब मुझे प्रपोज किया था तो मैंने भी हां कर दी थी... पर उसी दिन मुझे पता चला कि वो मेरी क्लासमेट पर भी लाइन मार रहा था... और उस दिन देव मैंने जो दिया न उसके खींचकर... उसे जिंदगी भर याद रहेगा... कहते कहते इंदू खिलखिलाकर हंस पड़ी... इंदू की यही आदत थी... हर माहौल में वो हंसने का बहाना ढूंढ लेती थी... ऐसा शायद ही कभी हुआ हो कि किसी ने इंदू को किसी से नाराज़ देखा हो... इस लड़की को किसी से कोई शिकायत नहीं थी... बात करती तो खुलकर... हंसती तो पूरी खिलकर... लगता जैसे गांधीजी की मूर्ती के सामने लगा फुआरा उसकी हंसी के साथ और ऊंचा हो जाता था... और उसकी दो बूंदे बातों बातों में उसके बालों को छू जातीं और पार्क की लाइट में चमकने लगतीं तो... देव को इंदू का साथ अच्छा लगने लगा था...
जारी है...
अगली कड़ी के लिए यहां क्लिक करें-
देवेश वशिष्ट 'खबरी'
98118523369811852336
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
The nice thing with this blog is, its very awsome when it comes to there topic.
जवाब देंहटाएंthat doesn't happen everyday. wish you all the best.
जवाब देंहटाएंरोचक वृतांत चल रहा है, अगली कड़ी का इन्तजार है.
जवाब देंहटाएंsameer ji se sehmat hun
जवाब देंहटाएं