26/5/07

चोरी करनी है!






यार कोई तरक़ीब बता
तरक़ीब बता,
पच्चीस पैसे की जुगाड़ की।
वो वाले पच्चीस पैसे,
जिसकी चार संतरे वाली गोलियाँ आती थीं।
तरक़ीब बता,
चोरी करनी है!
अपने ही घर में कटोरी भर अनाज की...।
आज सपने में भोंपू वाली बर्फ़ बिकी थी!
मुझे 'पीछे देखो मार खाई' वाले खेल
दोबारा खेलने हैं...
जानी-अनजानी गोदों को,
अंकल,आण्टी,चाचा, ताई,मौसी,
दीदी,मामा,नाना,दादा,दादी कहना है।
यार क्या इतना बड़ा हो गया हूँ,
कि रोज़ काम पर जाना पड़ेगा?
ट्यूशन वाले मास्टर जी का काम नहीं किया है,
' आज फिर पेट दर्द का बहाना बना लूँ॰॰॰'?
ये रोज़-रोज़ के प्रीतिभोज बेस्वादे हैं।
अगली रामनवमी का इंतज़ार करूँगा।
खूब घरों में जाऊँगा 'लांगुरा' बनकर।
खूब पैसे मिलेंगे तब...
शाकालाका वाली पेंसिल खरीदकर
चिढाऊँगा दोस्तों को।
वो 'जवान' है,
नज़रें चुरा लेती है।
चल उससे बचपन वाली होली खेलते हैं,
यार चल कुछ 'सद्दा' लूटें॰॰
मुझे पतंग उड़ानी है॰॰॰॰।
9811852336

5 टिप्‍पणियां:

  1. एक अच्छी कविता जो बाल मनोविज्ञान को प्रदर्शित करती है…जो उत्सुकता और जिज्ञास होती है वह सरल शब्दों में निकल कर सामने आई है…बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं
  2. आह रे बचपन....वाह रे बचपन!
    अच्छी कविता है। बधाई स्वीकारें।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर शब्द चित्रण किया है, बचपन याद सा आ गया...बधाई देवेष जी. आपको अबकी पढ़ना बहुत सुखद अनुभूति रही, लिखते रहें.

    जवाब देंहटाएं
  4. Great poem bhai...

    but if you get something by writing your poems on this blog, isn't it good.

    You can place google Ads on your blog and earn money....
    Visit http://latestinindia.blogspot.com and join Google Adsense Program for free. and Earn money...

    Thousands of visitors will come to read your poems and blog that you write and they will click on your ads and Google will pay for this.

    Hai naa great Idea....

    Just visit
    http://latestinindia.blogspot.com
    and join the Google Adsense Program from the top right corner.

    जवाब देंहटाएं